उम्मुल-मोमिनीन सैयिदा ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा रज़ियल्लाहु
अन्हा
{HINDI}
HAZRAT ZAINAB(r.a) (II)
उम्मुल मोमिनीन ज़ैनब बिन्त ख़ुज़ैमा रज़ियल्लाहु
अन्हा
उनका नाम और लक़ब :
वह ज़ैनब पुत्री खुज़ैमा अल-हारिस बिन अब्दुल्लाह
बिन अम्र बिन अब्द मनाफ बिन हिलाल बिन आमिर बिन सअसआ अल-हिलाली हैं।
इतिहासकारों के बीच उनके पिता की तरफ से
उनकी वंशावली पर सहमति पाई जाती है, जैसा कि इब्ने अब्दुल-बर्र ने अपनी किताब “अल-इस्तीआब” में उनकी जीवनी के विषय में बात करते हुए
कहा है, और इसी पर हमारे सामने उपलब्ध सभी स्रोतों में भी सहमति दिखाई देती है, लेकिन
उनकी माँ की ओर से उनकी वंशावली के बारे में हमारे सूत्र खामोश दिखाई देते हैं, इब्ने
अब्दुल-बर्र ने उसके बारे में अरब जातियों की वंशावली के माहिर (विशेषज्ञ) अबुल हसन
जुर्जानी का कथन उल्लेख किया है, तथा ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा रज़ियल्लाहु अन्हा, उम्मुल
मोमिनीन मैमूना बिन्त हारिस रज़ियल्लाहु अन्हा की सौतेली बहन थीं और जाहिलियत (अज्ञानता)
के समय काल में (यानी इस्लाम से पहले) उनको “उम्मुल-मसाकीन” (अर्थात ग़रीबों की माँ) के नाम से याद
किया जाता था। तथा सभी स्रोतों ने उन्हें जाहिलियत और इस्लाम के समय काल में सज्जनता,
दानशीलता, गरीबों और मिस्कीनों के साथ हमदर्दी व मेहरबानी के गुण से विशिष्ट किया है।
और किसी भी पुस्तक में उनके नाम का चर्चा “उम्मुल मसाकीन” (यानी ग़रीबों की माँ) के प्रतिष्ठित लक़ब
के बिना नहीं मिलता है।
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व
सल्लम के साथ उनकी शादीः
ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा रज़ियल्लाहु अन्हा,
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पवित्र पत्नियों में से एक थीं, हफ्सा रज़ियल्लाहु
अन्हा के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर में आने पर अभी थोड़े ही दिन बीते
थे कि सर्व प्रथम मुहाजिरीन में से एक कुरैशी शहीद की विधवा आप के घर में दाखिल हुई,
इस तरह वह उम्महातुल मोमिनीन में से चौथी (उम्मुल मोमिनीन) थीं। ऐसा प्रतीक होता है
कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर में उनके बहुत ही लघु अवधि तक ठहरने के कारण,
पैगंबर की जीवनी के लेखकों और इतिहासकारों ने उनके चर्चे से उपेक्षा किया है, और उनके
समाचार के बारे में मात्र कुछ रिवायतें ही हम तक पहुँची हैं, जो अंतरविरोध और मतभेद
से सुरक्षित नहीं हैं। ज़ैनब रज़ियल्लाहु अन्हा सर्व प्रथम हिजरत करने वालों में से
एक क़ुरैशी शहीद उबैदा बिन हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की विधवा थीं, जो बद्र की जंग
में शहीद हो गए थे, तो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तीन हिजरी में उनके साथ
विवाह कर लिया। यह बात भी कही गई है कि यह एक औपचारिक शादी थी, क्योंकि पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम ने उनसे केवल मेहरबानी और शफक़त की भावना से शादी की थी।
तथा इस बात में भी मतभेद है कि पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम के साथ उनके विवाह की ज़िम्मेदारी किसने अंजाम दी थी, इस बारे में “अल-इसाबा” नामक पुस्तक में इब्नुल कलबी से कथित है
किः पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें अपने आप से शादी करने का पैगाम दिया
तो उन्हों ने अपने मामले को अल्लाह के रसूल के हवाले कर दिया, तो आप ने उनसे शादी कर
ली। तथा इब्ने हिशाम ने अपनी किताब “अस्सीरतुन नबविय्यह” में फरमाया है किः आप सल्लल्लाहु अलैहि
व सल्लम की शादी उनसे उनके चचा क़बीसा बिन अम्र अल-हिलाली ने की, और रसूल सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम ने उन्हें चार सौ दिर्हम महर दिया।
तथा इस बारे में भी मतभेद पाया जाता है कि
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर में वे कितनी अवधि तक रहीं, चुनांचे “अल-इसाबा” नामक
पुस्तक की एक रिवायत के अनुसारः “पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ
उनकी शादी हफ्सा रज़ियल्लाहु अन्हा के साथ आपकी शादी के बाद हुई, फिर वह केवल दो या
तीन महीने आपके पास रहीं और फिर उनका निधन हो गया।”
और इब्नुल कलबी के माध्यम से एक दूसरी रिवायत
कहती है किः “पैगंबर
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे तीन हिजरी में रमज़ान के महीने में शादी की थी, और
वह आठ महीने तक आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास रहीं, फिर चार हिजरी में रबीउल
आखिर के महीने में उनका निधन हो गया।”
और “शज़रातुज़ ज़हब” में उल्लिखित है कि : उसी साल - अर्थात
हिजरत के तीसरे साल - में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने “उम्मुल-मसाकीन” ज़ैनब बिन्ते खुज़ैमा अल-आमिरिय्या से शादी
की, और वह आप के पास तीन महीने रहीं फिर उनका निधन हो गया।”
उनका निधन :
सही बात यह है कि उनका निधन उनकी उम्र के
तीसवें साल में हुआ, जैसा कि “वाक़िदी” ने
उल्लेख किया है और “इब्ने
हजर” ने “अल-इसाबा” नामक पुस्तक में वर्णन क्या है, वह इस दुनिया
से शांति के साथ गईं जिस तरह कि उन्हों ने शांति के साथ ज़िन्दगी गुज़ारी, पैगंबर
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनके जनाज़ा की नमाज़ पढ़ाई, और उन्हें जन्नतुल बक़ीअ
में दफन किया, यह घटना रबीउल आखिर चार हिजरी में घटी थी, इस तरह वह पैगंबर सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम की पवित्र पत्नियों में से सबसे पहली पत्नी थीं जो जन्नतुल बकीअ में
दफ़न हुईं, और शादी के आठ महीने बाद ही उनका निधन होगया, तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व
सल्लम की जिंदगी में आपकी पवित्र पत्नियों में से सर्व प्रथम उम्मुल मोमिनीन खदीजा
रज़ियल्लाहु अन्हा - जो कि मक्का में हजून नामक स्थान में दफन हुईं - और उम्मुल मोमिनीन
व उम्मुल मसाकीन सैयिदा ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा अल-हिलालियह रज़ियल्लाहु अन्हा के अलावा
किसी और का निधन नहीं हुआ था।
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