Monday, 25 November 2013

HAZRAT MARIYA (r.a)

 सैयिदा मारिया अल-क़िब्तिय्यह रज़ियल्लाहु अन्हा
HAZRAT MARIYA (r.a) 
{HINDI}

मारिया क़िब्तिय्यह रज़ियल्लाहु अन्हा हुदैबियह की संधि की घटना के बाद 7 हिजरी में मदीना आईं। मुफस्सेरीन ने उल्लेख किया है कि उनका नाम मारिया बिन्त शमऊन अल-क़िब्तिय्यह था। जब पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और मक्का के मुशरिकों
(अनेकेश्वरवादियों) के बीच हुदैबियह की संधि हो चुकी तो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने  इस्लाम धर्म की ओर आमंत्रण देना शुरू किया, और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दुनिया के राजाओं को पत्र लिखा जिसमें उन्हें इस्लाम को स्वीकारने के लिए आमंत्रित करते थे। आप ने इस काम पर बहुत ध्यान दिया, और इसके लिए अपने साथियों में से ऐसे लोगों का चयन किया जो ज्ञान और अनुभव वाले थे और उन्हें राजाओं के पास भेजा।  उन राजाओं में रूम का राजा हिरक्ल, फारिस (ईरान) का राजा परवेज़, मिस्र का राजा मुकौकिस और हब्शा का राजा नजाशी शामिल था। इन राजाओं ने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  के पत्र को प्राप्त किया और उसका अच्छी तरह उत्तर दिया, सिवाय फारिस के राजा किस्रा के जिसने पत्र को फाड़ दिया।
जब पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम  ने अपना पत्र मिस्र में बीजान्टिन राज्य के एटॉर्नी जनरल और इस्कंदरिया के राज्यपाल मुकौकिस को भेजा तो उसे हातिब बिन अबू-बलतअह रज़ियल्लाहु अन्हु के साथ रवाना किया, जो अपनी बुद्धि और फसाहत व बलागत (लाटिका और साफ सुथरी भाषा) में मशहूर थे। हातिब बिन अबू-बलतअह रज़ियल्लाहु अन्हु पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पत्र को लेकर मिस्र आए और जब मुकौकिस के पास गए जिसने उनका स्वागत किया और उनकी बात को ध्यान से सुनने लगा, तो उसने हातिब से कहा : हमारा एक धर्म है जिसे हम कदापि नहीं छोड़ सकते यहाँ तक कि हमें उस से बेहतर धर्म न मिल जाए।
मुकौकिस को हातिब रज़ियल्लाहु अन्हु की बात बहुत पसंद आई और उसने हातिब से कहा : इस पैगंबर के मामले में मैंने ग़ौर किया तो उसे पाया कि वह न तो किसी नापसंदीदा बात का आदेश देते हैं और किसी पसंदीदा चीज़ से रोकते हैं, और मैंने उन्हें न तो भटका हुआ जादूगर पाया और न ही झूटा काहिन (भविष्यवक्ता), तथा मैं  उनमें नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) की निशानी पाता हूँ कि वह छिपी बातों को बता रहे हैं और गोपनीय बात की खबर दे रहे हैं, और मैं (उनके विषय में) गौर करूँगा।
मुकौकिस ने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का पत्र लिया और उस पर मुहर लगाई, और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर यह उत्तर लिखा :
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यंत दयावान है।
मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह के लिए, किब्तियों के राजा मुकौकिस की ओर से, तुम पर सलाम (शांति) हो, इसके बाद :
मैंने आपका पत्र पढ़ा और आपने उसमें जो कुछ उल्लेख किया है और जिसकी ओर आप आमंत्रित कर रहे हैं उसको समझा, और मुझे पता है कि एक नबी का आगमन बाक़ी है, लेकिन मेरा गुमान था कि वह शाम (सीरिया) के क्षेत्र से निकलेगा, मैंने आपके दूत का सम्मान किया है, और आपके पास दो लौंडियां भेजी हैं जिनका क़िब्तियों के बीच बड़ा स्थान है, और कपड़े भी हैं, तथा मैंने आपको एक खच्चर भेंट की है ताकि आप उसपर सवारी करें, और आप पर सलाम हो। 
उपहार की दोनों लौंडियाँ : मारिया बिन्त शमऊन अल-किब्तियह और उनकी बहन सीरीन थीं।
मदीना को वापिस लौटते हुए रास्ते में हातिब रज़ियल्लाहु अन्हु ने मारिया और उनकी बहन सीरीन पर इस्लाम धर्म को पेश किया और उन्हें उसके बारे में रूचि दिलाई, चुनांचे अल्लाह सर्वशक्तिमान ने उन दोनों को इस्लाम से सम्मानित कर दिया।
मदीना आने के बाद, पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा को अपने लिए  चुन लिया और उनकी बहन सीरीन को अपने महान कवि हस्सान बिन साबित अनसारी रज़ियल्लाहु अन्हु को दे दिया। मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा एक गोरी और रूपवान महिला थीं, उनके आने से आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा के दिल में गैरत (ईर्ष्या) उमड़ पड़ी, वह पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर सदा नज़र रखती थीं कि आप किस तरह मारिया का ख़्याल रखते हैं। इस विषय में आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा कहती हैं : मुझे मारिया पर जितनी ग़ैरत हुई उतनी किसी पर नहीं हुई और यह इसलिए कि वह बहुत सुंदर और घुंघराले बालों वाली – या बड़ी बड़ी आँखोंवाली - महिला थीं, अतः पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बहुत पसंद आगईं, जब वह पहले पहल मदीना पहुंची थीं तो आप ने उन्हें हारिसा बिन नोमान के घर में रखा था, इस तरह वह हमारी पड़ोसन हो गई थीं, तो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रात दिन का अधिकांश समय उनके पास बिताते थे। यहाँ तक कि हम उनके पीछे पड़ गए, तो वह घबरा गईं तो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनको अवाली में स्थानांतरित कर दिया, और आप उनके पास वहाँ जाया करते थे, तो यह बात हम लोगों पर बहुत भारी गुज़रती थी। 
मारिया का इब्राहीम को जन्म देनाः
मारिया के मदीना में आगमन पर एक साल बीतने के बाद, वह गर्भवती हो गईं, पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इस खबर को सुन कर बहुत खुश हुए, क्योंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस समय लगभग साठ वर्ष के हो चुके थे और फातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु अन्हा के अलावा आपकी कोई औलाद नहीं बची थी। हिज्रत के आठवें साल ज़ुल-हिज्जा के महीने में, मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया जो पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से मिलते जुलते रूप का था, आप ने  उनका नाम अपने बाप पैगंबर इब्राहीम खलीलुर्रहमान अलैहिस्सलाम से शुभशकुन लेते हुए इब्राहीम रखा, और उनको जन्म देने से मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा आज़ाद होगईं।
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पुत्र  इब्राहीम ने एक साल और कुछ महीनों तक पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की देखरेख में गुज़ारे, लेकिन अपना दूसरा वर्ष पूरा करने से पहले ही बीमार होगए, फिर एक दिन उनकी बीमारी गंभीर होगई, और उसी में उनका निधन हो गया, जबकि वह केवल १८ महीने के ही थे। उनका निधन हिज्रत के दसवें साल, १० रबीउल अव्वल को मंगलवार के दिन हुआ था, मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा को इब्राहीम की मौत पर बहुत दुख हुआ।
क़ुरआन करीम में मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा का   स्थानः  
मारियह रज़ियल्लाहु अन्हा की क़ुरआन करीम की आयतों और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी की घटनाओं में एक बड़ी शान है। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने सूरत तहरीम के शुरू की आयतें मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा के बारे में उतारी हैं, और विद्वानों, धर्मशास्त्रियों, मुहद्देसीन और मुफस्सेरीन ने इसका अपनी हदीसों औ अपनी पुस्तकों में उल्लेख किया है। तथा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जब निधन हुआ तो आप मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा से खुश (राज़ी) थे, जिन्हे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पवित्र घराने में शामिल होने का सम्मान मिला और उनकी गणना उस घराने वालों में हुई। तथा स्वयं मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा भी सदा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खुशी को हासिल करने के लिए उत्सुक रहती थीं। इसी तरह वह अपनी दीनदारी (धर्मनिष्ठता), इबादत और परहेज़गारी से भी परिचित थीं।
मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा का निधनः 
मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा खिलाफत राशिदा की छांव में लगभग पाँच वर्ष ज़िंदा रहीं, और मुहर्रम के महीने में हिज्रत के सोलहवें साल में उनका निधन हो गया। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने लोगों को बुलाया और उनकी नमाज़ जनाज़ा के लिए उन्हें इकठ्ठा किया। चुनांचे मारिया रज़ियल्लाहु अन्हा के जनाज़ा की नमाज़ पढ़ने के लिए मुहाजिरीन और अनसार में से सहाबा की एक बड़ी संख्या जमा हो गई। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने बकीअ में उनकी नमाज़ जनाज़ा पढ़ाई और वह पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पवित्र पत्नियों के पास, अपने बेटे इब्राहीम के बग़ल में दफनाइ गईं।

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